संकटमोचन हनुमान अष्टक
बाल समय रवि भक्षि लियो तब,तीनहुं लोक भयो अंधियारो।ताहि सों त्रास भयो जग को,यह संकट काहु सों जात न टारो।देवन आनि करी बिनती तब,छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।को नहीं जानत…
बाल समय रवि भक्षि लियो तब,तीनहुं लोक भयो अंधियारो।ताहि सों त्रास भयो जग को,यह संकट काहु सों जात न टारो।देवन आनि करी बिनती तब,छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।को नहीं जानत…
॥ दोहा ॥ श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।बल बुधि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस विकार॥ ॥…